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जागरूकता कार्यक्रम
01/08/2025 23:38:52
विश्व स्तनपान सप्ताह के अंतर्गत दो दिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन विश्व स्तनपान सप्ताह के अवसर पर, 1 अगस्त 2025 को, संत हिरदाराम कन्या महाविद्यालय, भोपाल के खाद्य एवं पोषण विभाग में आशा पारस फॉर पीस एंड हारमनी फाउंडेशन, भारत द्वारा IAPEN भोपाल चैप्टर और IDA भोपाल के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रत्ना मुले और आशा पारस फॉर पीस एन्ड हारमनी फाउंडेशन, भारत के कार्यकारी प्रबंधक श्री लव चावड़ीकर उपस्थित थे। डॉ. रत्ना ने "माताओं का सशक्तिकरण, स्तनपान को सक्षम बनाना" विषय पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि स्तनपान न केवल शिशु के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, बल्कि मातृ स्वास्थ्य को भी मजबूत बनाता है। उन्होंने एनीमिया पर एक गहन व्याख्यान भी दिया, जिसमें इसके व्यापक प्रभाव और उचित पोषण के माध्यम से शीघ्र रोकथाम की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया। डॉ. मुले ने चर्चा की कि कैसे दैनिक पोषण संबंधी आदतें समग्र स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं और जीवन चक्र के विभिन्न चरणों में पोषण को समझने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपनी बातों को स्पष्ट करने के लिए वास्तविक जीवन के केस स्टडी प्रस्तुत किए और कई हस्तक्षेपों के परिणामों को साझा किया, जिससे चर्चा में एक व्यावहारिक आयाम जुड़ गया। उन्होंने आगे इस बात पर ज़ोर दिया कि समाज को माताओं के लिए एक सहायक वातावरण बनाने की आवश्यकता है ताकि वे बिना किसी दबाव के इस आवश्यक ज़िम्मेदारी को पूरा कर सकें। श्री लव चावड़ीकर ने लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण विषय पर विस्तार से बात की। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि लैंगिक समानता को अगर मजबूत करना है तो हमे शुरुआत से ही अपने व्यवहार में शामिल करना होगा कि हम महिलाओं बच्चियों कि उपलब्धियों को सराहें, साथ ही घर और कार्यस्थल पर उनके साथ बराबरी का व्यवहार करें। बच्चों को बचपन से ही सिखाने की आवश्यकता है कि वह समानता का मूल्य जाने और अपने जीवन में इसको आत्मसात करें। उन्होंने आगे कहा कि जेंडर की जब बात करते हैं तो वहाँ स्त्री पुरुष नहीं बल्कि सम्पूर्ण मानव समाज की हम बात करते हैं। सिर्फ घर में ही नहीं बल्कि जेंडर संवेदनशीलता हर जगह और हर विषय में लागू होती है चाहे वह स्वास्थ्य हो, शिक्षा हो या अन्य कोई विषय। हमें मानव बनकर कार्य करना होगा। हमें एक दूसरे का सम्मान करना होगा। उन्होंने आगे संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यों और प्रकाशित पुस्तकों की भी जानकारी साझा की जो जेंडर आधारित हैं जिनमें "लिंग शक्ति गतिशीलता" प्रमुख है। साथ ही उन्होंने आगामी पुस्तकों मे लेख लिखने के लिए सभी से आव्हान किया। समापन भाषण में डॉ. हर्षा भटनागर ने कहा कि मातृत्व का सम्मान करना और माताओं को सही जानकारी और सहायता प्रदान करना एक साझा ज़िम्मेदारी है। इस तरह की पहल समाज में सार्थक और सकारात्मक बदलाव का मार्ग प्रशस्त करती हैं। उन्होंने स्तनपान और उस पर तुरंत कार्रवाई करने के संबंध में दिशानिर्देश दिए। प्रश्नोत्तर सत्र में छात्राओं ने अपने सवालों और जिज्ञासाओं को विषय विशेषज्ञों के समक्ष रखते हुए प्रतिभागिता की गई। सत्र का समापन प्रथम वर्ष की छात्रा हर्षिता सिंह द्वारा कविता पाठ के माध्यम से किया और सभी का आभार प्रदर्शन किया।
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